When I was younger, these dohas used to give me the necessary gyan… They r so simple…. 2 lines each and yet so profound!!! Found them on a site one day and well couldnt help but put them down here 🙂

Check out some of Kabeer Das’s famous dohe! 

कबीरा खड़ा बाज़ार में माम्गे सब की खैर
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर!

बुरा जो देखन में चला, बुरा ना मिलया कोई,
जो मन खोजा आपना तो मुझ से बुरा ना कोई

चलती चाक्की देख के दिया कबीरा रोए
दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा ना कोए

साँईं इतना दीजिये जामें कुटुम्ब समाये,
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधू ना भूखा जाये

माया मरी ना मन मरा, मर मर गये शरीर,
आशा त्रिश्ना ना मरी, कह गये दास कबीर.

दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे ना कोये
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होये.

ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोये,
अपना तन शीतल करे, औरन को सुख होये.

धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होये,
माली सीन्चे सौ घड़ा, ऋतु आये फ़ल होये.

जाती ना पूछो साधु की, पूछ लीजिये ग्यान
मोल करो तलवार की पड़ी रेहेन जो मयान.

Thank you, wonderful readers, for your contributions. Adding some of them here:

साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुहाय
सर सर को गहि रहे, थोथा दे उडाय
 
आये हैं तो जायेंगे राजा रंक फ़कीर
एक सिंघासन चढ़ी चढ़े एक बंधे ज़ंजीर
 
दुर्बल को न सताइए जाकी मोटी हाय
बिन बीज के सोंस सो लोह भस्म हुयी जाए
 
माटी कहे कुम्हार को तू क्या रूंधे मोहे
इक दिन ऐसा होयेगा मैं रून्धुंगी तोहे
 
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर
 
तिनका कभू न निंदिये जो पवन तर होए
कभू उडी अँखियाँ परे तो पीर घनेरी होए
 
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागून पाए
बलिहारी गुरु आपकी जिन गोविन्द दियो बताये
 
निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छबाय
बिन पानी साबन बिना निर्मल करे सुहाय
 
ज्यों नैनों में पुतली, त्यों मालिक घर माहीं
मूरख लोग न जानहिं बाहिर ढूधन जाहीं
 
माला फेरत जग भया, फिर न मन का फेर
कर का मनका डाली दे, मन का मनका फेर
 
सब धरती कागद करून, लेखनी सब बन राइ
सात समुंद की मासी करून, गुरु गुण लिखा न जाई
 
पानी में मीन प्यासी रे
मुझे सुन सुन आवे हासी रे
आत्मज्ञान बिना नर भटके
कोई काबा कोई कासी रे
कहत कबीर सुनो भाई साधो
सहज मिले अविनासी रे
 
रहना नहीं देस बेगाना है
यह संसार कागड़ की पुड़िया
बूंद पड़े घुल जाना है
Please keep writing some more to grow this collection 🙂